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उमर बढ़ने पर अपने शरीर को कैसे समझा जाए

एक पुराने अंग्रेज़ी कवि ने कभी कहा था “आओ हम साथ में बूढ़े होते है! सबसे सुहाने दिन अभी बाकी है”। हमारे यहाँ हम हरदम ख़ुशी से गाते है “ऐ मेरी ज़ोहर ज़बीं, तुम्हें मालूम नहीं, तू अभी तक है हसीन और मैं जवान”।
कभी कभी, यूं नहीं लगता कि अरे ! अभी -अभी तो हमने हमारे अंदर- बाहर के जवान और कामुक होने की समस्याओं से छुटकारा पाया, अब लो, बुढ़ापे और कामुकताओं की समस्या पर ध्यान देना पड़ेगा? और इस सन्दर्भ में जो थोड़ा बहुत कुछ सुनने में आए भी, वो बातें कोई अच्छी तो नहीं होतीं । अगर आप ५० साल और ऊपर की उम्र की औरतों की संगत में रहे हो, आपने मेनोपाज और हाट फ्लश जैसे शब्द सुने होंगे। सभी बात करती हैं, कैसे शरीर में गरमी की एक असहनीय लहर सी दौड़ती है, और उन औरतों से ईर्ष्या करती हैं जिन्होंने इसका अनुभव नहीं किया है। अगर आप ऐसे आदमियों और औरतों के बीच रहे हो जो मेनोपाज और एंन्ड्रोपाज के बाद के बूढ़ापे की बात कर रहे हों तो आपने यौनसंबंधी निराशा के बारे में कुछ बातें भी सुनी होंगी। हम में से कई बूढ़े होने से डरते हैं या उससे दुःखी हो जाते है चूंकि ज़्यादातर हमें इस बात की कोई भी जानकारी नहीं होती कि हमें बढ़ती उम्र के साथ में हमारे शरीर से क्या अपेक्षा करनी चाहिये। युवावस्था में आने वाले बदलाव के बारे में हम थोड़ी बहुत बात करते हैं, लेकिन कोई - यहाँ तक की डाक्टर भी - बुढ़ापे के साथ आने वाले बदलाव के बारे में पर्याप्त बातें नहीं करता। लेकिन इन बदलाव के बारे में जानना अच्छा होता है चूंकि इस प्रकार हम उनके लिये तैयार रह सकते हैं। ऐसा करने से शायद इन बदलावों को आनन्ददायक रूप से हम महसूस भी कर सकते हैं। यह अब और भी ज़रूरी होने लगा है क्योंकि हाल ही में किये गये अध्ययन में यह पता चला कि भारत में औरतों में मेनोपाज होने की आयु घट चुकी है - ४ प्रतिशत औरतें मेनोपाज २९ और ३४ साल के बीच पहुंचती हैं, और ८ प्रतिशत औरतें मेनोपाज ३५ और ३९ साल के बीच। तो चूँकि हम बूढ़े होते जा रहे हैं,  यह रहा हमारे लिए सेक्स और हमारे शरीर के बारे में कुछ ज्ञान।  

औरतों में पेरिमेनोपाज और मेनोपाज क्या होता है?

मेनोपाज तब होता है जब आपकी माहवारी/ पीरीयड पूरी तरह से रुक जाती है और आपके अंडाशय अंडे बनाना बंद कर देतेहैं। लेकिन यह अचानक नहीं होता। इसके पहले की कालावधि को पेरिमेनोपाज कहा जाता है। यह सामान्यतः तब शुरू होता है जब आप करीब ४४ से ४६ साल की होती हैं और ४ से ५ साल चलता है। आपके पीरीयड अनियमित हो जाते हैं: वह चार दिन से दो हफ्ते तक चल सकते है, या फिर एक महीने तक भी नहीं आते हैं। हाल ही में किये गये अध्ययन में यह पता चला कि भारत में औरतों में मेनोपाज होने की आयु घट गई  है - ४ प्रतिशत औरतें मेनोपाज २९ और ३४ साल के बीच पहुंचती हैं, और ८ प्रतिशत औरतें मेनोपाज ३५ और ३९ साल के बीच। लेकिन पेरिमेनोपाज और मेनोपाज के लक्षण - स्वभाव में उतार-चढ़ाव, गरम फ़्लैश यानी बदन में गरमी का प्रवाह, नींद बराबर न आना और यौनरुचि कम होना - यह सब एक दूसरे में मिले हुए हैं। यह लक्षण मुख्य सेक्स हार्मोन एस्ट्रोजेन में कमी आने की वजह से होते हैं। लेकिन अलग लोगों में अलग लक्षण होते हैं। कुछ लोगों में सभी लक्षण दिखाई देते हैं, कुछ लोगों में थोड़े लक्षण, और कुछ लोगों में… ऐसा नहीं है कि सभी लोगों में सभी चिह्न दिखाई देते हों: कभी कभी मेनोपाज से पोस्ट मेनोपाज तक का सफर एक नाव की शांत सैर सा भी हो सकता है!  

एंन्ड्रोपाज क्या होता है?

पुरुषों में एंन्ड्रोपाज की संकल्पना कुछ विवादात्मक है - सिर्फ कुछ ही लोगों का उस पर विश्वास है, यह इसलिये चूंकि औरतों से अलग,  आदमियों में इसके कोई साफ असर नहीं दिखते, जैसे रजोधर्म का रुक जाना। लेकिन पुरुष भी शरीर और स्वभाव में बदलाव महसूस करते हैं जैसे ४० और ५५ साल के उम्र के बीच मुश्किल से वीर्यपात करना, हड्डी का घनत्व कम होना और घबराहट। इस सब का कारण है वीर्यकोषों की धीरे धीरे मुख्य सेक्स हार्मोन टेस्टास्टरोन बनाने की क्षमता का कम होना।  

स्वभाव में उतार-चढ़ाव

अगर आप बातों को विस्तार से याद रखने में और ध्यान केंद्रित करने में कठिनाई पा रहे हो, तो यह आयु से संबंधित हार्मोन में बदलाव की वजह से हो सकता है। औरतों में यह एस्ट्रोजेन में कमी आने की वजह से होता है, और मर्दों में यह टेस्टास्टरोन में कमी आने की वजह से होता है, जिससे घबराहट पैदा होती है। पर मुख्य प्रश्न यह है: ऐसी दुनिया में जहाँ बस जवानी का बोलबाला है, बूढ़ा होना क्या और मुश्किल नहीं हो जाता? मीना, ५८, एक ऐसे दौर से गुज़री जहाँ अपने इर्द गिर्द की सभी घटनाएँ उसे बोझिल लगतीं। उसके बच्चे उसे समय ना देते, व्यस्त रहते, और उसके पति उससे बहुत दूर लगते। “उन दिनों मुझे अकेलेपन ने बहुत खाया ,” मीना कहती हैं। अगर चिड़चिड़ा या चिंतित होने के समय ही उसके शरीर में गरमी के प्रवाह आते तो  बात और भी बिगड़ जाती । ख़ुद की दिनचर्या बनाने से उसे कुछ राहत मिली। वह अब  डांस के क्लास में जाने लगी है, और हर सुबह पार्क में हँसने के क्लब में बिताती है। यह जानने से भी सांत्वना मिलती है, कि ऐसे समय में अकेले रहने की आवश्यकता नहीं. । आप इंडियन मेनोपाज सोसायटी (हाँ, ऐसा ग्रूप भी है) के भी सदस्य बन सकते हो, जो कार्यक्रम आयोजित करते कि और दूसरी औरतों से मिलना आसान बनाते हैं।    

सेक्स

और हाँ, आप पुरुष हो या स्त्री, बूढ़े होने से आपकी सेक्स करने की तमन्ना कम हो सकती है। एक खुशखबरी भी है: अमेरिकन जर्नल आफ मेडिसिन के अनुसंधान के मुताबिक, स्त्रियाँ सेक्स से और संतुष्ट हो सकती हैं चूंकि अभी उन्हें बेहतर पता होता है किस प्रकार का सेक्स उन्हें भाता है। कुछ डाक्टर यह भी कहते हैं कि सेक्स करने की तमन्ना बढ़ सकती है, खासकर अगर आपने जवानी में गर्भ निरोधक दवाईयाँ इस्तेमाल की हों। रितिका, ४९, को उसकी सहेलियों ने कहा था कि सबसे अच्छा सेक्स, वो ३० के दशक में अनुभव करेगी। उसके बाद ४० के दशक में वो कुछ भी सेक्स ना होने के दौर से गुज़रेगी जो उसके लिये निराशाजनक और बंजर होगा। तो क्या यह भविष्यवाणी सच हुई है? “मैं पहले जितना तो सेक्स नहीं करती, लेकिन जब मैं सेक्स करती हूं तब वो पहले जितना ही अच्छा होता है”। यह कैसे? लूब्रिकंट और वायब्रेटर अक्सर इस्तेमाल करने के अलावा, रितिका में ज़्यादा आत्मविश्वास है, जिस वजह से वो अपने पति से जिद्द करती है कि वह फोरप्ले में ज़्यादा समय बिताए। वो कहती है कि यह बहुत अच्छा हुआ है कि वह फोरप्ले में ज़्यादा समय बिताती है। उसकी वजह से उसने ख़ुद को छूकर क्या और  कैसे अच्छा लगता है, इसके नए तरीके खोज निकाले हैं। और सेक्स के समय धीरे से चीज़ें करना उसे पहले से कई ज़्यादा कामोत्तेजित करता है। वो लूब्रिकंट के बारे में क्या कहा आपने? मेनोपाज के बाद औरतों की योनियाँ और सूखी हो जाती हैं और उनके टिशू और पतले हो जाते हैं। इसके सबसे सामान्य लक्षण हैंदर्द और खुजली होना, या फिर सेक्स के बाद खून का भी निकलना। इसलिए आपका लूब्रिकंट आपकी सबसे अच्छी सहेली भी बन सकता है। पुरुष भी कहतेहैं कि ५० साल की उम्र के बाद उनकी सेक्स करने की तमन्ना कम हो जाती है। निवेद, ५४, कहता है कि आप वीर्यपात करने में कठिनाई महसूस कर सकते हो, या फिर इरेक्शन होने और बनाए रखने में। उसने अपने शरीर के बारे में बहुत सारी बातें अपनी पत्नी जिसने मेनोपाज पर शोध किया है, से सीखीं । चूंकि उन दोनों ने यह जानकारी आपस में बाँटी, उनके कामुक ज़िंदगी में भी सुधार आया है। यह इसलिये कि अब उस पर प्रदर्शन का कोई दबाव नहीं है - उन दोनों को एक दूसरे की कामुक क्षमता के बारे में पता है। और निवेद की  खुशमिजाज़ सलाह? धीरे से काम लो। आपको जितना समय लगे, उतना लो, कामोत्तेजित होने के लिये फोरप्ले में ज़्यादा समय बिताओ - इससे औरतों के लिये सेक्स कम दर्दनाक हो सकता है, और मर्द इरेक्शन बहुत ज़्यादा समय तक बनाए रख सकते है। इन दोनों का मतलब है ज़्यादा कामुक खुशी, यानी कि ज़्यादा सुख।  

दिल

आपको दिल का दौरा या स्ट्रोक होने का भी ज़्यादा ख़तरा होता है, इसलिए आपको और सावधानी बरतनी चाहिए। औरतों में दिल की धड़कन कम हो सकती है। जिन्हें मेनोपाज जल्दी हुआ हो या फिर जिनके गर्भाशय या अंडाशय निकाले गये हो, उन्हें भी ज़्यादा ख़तरा होता है।  

मूत्रीय सिस्टम

औरतों में, आपकी योनिमार्ग की तरह, आपका मूत्रमार्ग (वह नली जो आपकी मूत्राशय से मिलती है), बहुत ज़्यादा सूखा और कम लचीला  हो जाता है, जिससे आपको बार बार पेशाब का अहसास होता है। मर्द भी यही महसूस करते हैं, विशेषतः रात को। इस वजह से आपको मूत्रमार्ग में इनफ़ेक्शन होने का ज़्यादा ख़तरा होता है, जो आसानी से पहचाना जा सकता है और जिसका आसानी से इलाज किया जा सकता है। केगेल एक्सर्साइज करना (यह मूत्रीय असंयम को रोकते या नियंत्रित करते हैं) एक साबित उपाय है। यह आप कभी भी, कहीं भी कर सकते हो, और श्रोणि के तल के मांस पेशी/पेल्विक फ्लोर मसल और मजबूत कर सकते हो। इनका सबसे बड़ा फायदा? इन से यौन सुख बढ़ता है।  

मांस पेशी और हड़्डी

औरतों में एस्ट्रोजेन की कमी से हड्डियों में धातु का कम घनत्व होने का खतरा बढ़ता है। मर्दों में, बुढ़ापा होने से टेस्टोस्टेरोन कम होता है, जो प्रोटीन टिशू बनाने में मदद करता है, और मांस पेशियों और हड़्डियों को भी। पर इसका यह मतलब नहीं कि आपको चिंता करनी चाहिए। आम तौर पर, मेनोपाज के ५ से १० साल बाद, हड़्डी का घनत्व कम होने से उनमें कमज़ोरी आ जाती है और हड़्डी टूटने का खतरा बढ़ता है। जैसे आप बूढ़े होते जाते हो वैसे हड़्डी के घनत्व का कम होना आप रोक तो नहीं सकते हो, लेकिन उसे आप धीमा कर सकते हो आपकी कैलसियम की मात्रा बढ़ाकर, अच्छा खाकर (और पत्तेदार सब्जियां!) और व्यायाम से। ग्रीष्मा, ५१, शाम को जिम जाती है। इससे उसे अच्छा लगता है, व्यायाम से मिलने वाले जोशीलेपन से और चूंकि ऐसा करने से उसे अपना शरीर और खुशी देता है । इस व्यायाम से उसे घुटने के दर्द से भी राहत मिलती है, जिस कारण वह कड़ा व्यायाम करने लगी है। उसकी सास को आस्टिओपोरासिस था (आपकी हड्डियाँ कमज़ोर और भुरभुरी हो जाती है)। यह ऐसी बीमारी नहीं जो सिर्फ बूढ़े लोगों को होती है। वज़न उठाने के और प्रतिरोध/रेसिस्टंस के व्यायाम आस्टिओपोरासिस से लड़ने में मदद करते हैं, हड़्डी का घनत्व बढ़ाकर और बनाए रखकर ।    

स्तन/ ब्रेस्ट

आम तौर पर आपके स्तन छोटे हो जाते हैं और वह चरबी और टिशू खोने लगते हैं। स्तनों को सहायता देने वाला टिशू कम लचीला हो जाता है, जिससे वह झुकने लगते है। परिवेश (नीपल के आस-पास का हिस्सा) छोटा बन सकता है और कभी-कभी ग़ायब भी हो सकता है। यह वो समय है जब औरतों को अपनी ब्रेस्ट की ख़ुद से जाँच करनी आनी चाहिए, चूंकि उनमें गांठ अक्सर  पाई जाती हैं । ज़्यादातर वो बिन कैंसर के सिस्ट होते है। लेकिन इन गांठों की जाँच करवाना ज़रूरी है, चूंकि आपकी जैसी उम्र बढ़ती है वैसे स्तन/ ब्रेस्ट कैंसर का खतरा भी बढ़ता है। हमारी त्वचा और शरीर के बाहरी हिस्सों में बदलाव हमें हमारे शरीर के अंदर और मन में होने वाले विचारों से ज़्यादा चिंतित करते हैं। हम इन बदलावों के बारे में बहुत कम चर्चा करते हैं, और हमारे बूढ़े शरीर की तुलना और शरीरों से करना और सोचना कि चलो, ठीक है, ये तो और भी कम होता है। दुनिया जवानी और कामुक आकर्षण का समीकरण करती है, लेकिन सच यह है कि हम जिंदगी भर कामुक प्राणी रहते हैं - बस सेक्स और यौन सुख के बारे में हमारी सोच और हमारा अहसास, दोनों बदल जाते हैं। सबसे अच्छी समय तो अब, इधर है।
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