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किसी भी बाल का जगह पर ना होना : सैक्स, वॅक्सिंग और मेरे मन में मेरा शरीर

मैं मेरे मर्द के सामने, चाहे वो ख़ुद कितने बालों वाला क्यों ना हो, एक बालदार औरत जैसी नहीं पेश आना चाहती थी।

13 साल की उम्र में मैंने जब बैडमिंटन खेलना शुरू किया तब दो चीज़े हुई: लड़कों के साथ मेरी पहली सच्ची मुलाकात और नियमित रूप से शाॅर्ट पैंट पहनना। इसका मतलब यह था कि मुझे उस रोमदार, धुँधले परदे के बारे में कुछ करना ज़रूरी पड़ गया जो दूसरी लड़कियों की टाँगों के मुकाबले मेरी टाँगों पर ज़्यादा गाढ़ा और काला था। और बाँहों पर तो था ही! मैंने मेरी माँ को (सौभाग्य से मेरे पालकों में केवल वो एकमात्र पालक थी जो इस बात पर ध्यान दे रहीं थी ) उन्हीं के सबस्क्रिप्शन की औरतों की मैगज़ीन का एक लेख दिखाया, जो नवयुवतियों को वॅक्स करने के लिए प्रोत्साहन देता था। ताकि  जब तक वह सब बीस साल पार कर लें, उनके पास स्कर्टों के नीचे दिखाने लायक टाँगें हों। हालाँकि मेरी माँ ने मुझे पहले मर्दों के रेज़र के साथ घुटनों को शेव करते हुए पकड़ा था, फिर भी दुःखद सच्चाई यह थी कि उसकी यह समझ में नहीं आया था कि मेरे ज़्यादा बाल होने के कारण मुझे मेरे शरीर के प्रति शर्मिंदगी महसूस हो रही थी। बल्कि वो, मेरी दूसरी रिश्तेदारों के साथ, अक्सर और खुलेआम कहती कि मेरे शरीर पर ज़्यादा बाल थे, जिसकी वजह से मैं और डर जाती। पर चूंकि मेरी माँ को कपड़े अच्छे लगते थे, उसे मेरी आत्म सम्मान की समस्याएं उतनी समझ में नहीं आईं, जितना उसे उस लेख का मुद्दा स्पष्ट समझ आया। और इस तरह, मुझे बचपन से मेरी बाँहें, काँखें और टाँगों को वॅक्स करने की अनुमति मिली थी। ऐसा करना, आते जाते ऐसी दर्दनाक बातें सुनने से तो बेहतर था कि मेरे छोटे शरीर पर हद से ज़्यादा बाल थे। जब मैं 16 साल की हुई, तब मेरी चचेरी बहन जो हाल ही में स्यानी हुई थी, ने यह सुझाव दिया कि हम हमारी नाभियों में बेध करें, इस ख़ुशी में कि हमको बड़े शहर में रहने का मौका मिला है, हमारे छोटे शहरों से दूर। निस्सन्देह ही मैंने इस बात का मज़ाक उड़ाया। इसलिए नहीं क्योंकि इसका मतलब था पेट की खाल में छेद करना, पर इसलिए कि इसका मतलब होता एक अजनबी को मेरा बालदार पेट दिखाना। मेरी बहन को अपनी ख़ुराफ़ातों में हमेशा जोड़ीदार बनाने की आदत थी और जल्द ही हम एक शनिवार को, काॅलेज से छुट्टी लेकर, यह शैतानी करने को मिले। काम शुरु करने के पहले मैंने उससे बड़ी बूझकर पूछा कि क्या उसने ‘वहाँ’ कुछ ‘सफाई’ की थी। बचपन में वो करीब करीब मुझ जितनी बालदार रही थी। 10 साल की उम्र में उसने घोषित किया था कि वह वॅक्सिंग की यातना से दूर रहकर, आजीवन बाँहों पर बालों की चोटियाँ बाँधने वाली थी। उस दिन पार्लर में वह बोली कि उसने रेज़र का इस्तेमाल किया था। और मैंने ‘वीट’ का, जैसे उस समय और कई कर रहे थे। अगर आपने कभी मैदानों की घास काटी है, तो आपके ध्यान में आया होगा कि नयी सफाई होने पर, जो  बची हुई घास है, फ़ौरन और खराब दिखने लगती है। आपको अब ऐसी जंगली घासें दिखने लगती हैं जिनका आपको पहले अंदेशा भी नहीं था। मेरे कहने का मतलब है कि कुछ ऐसा ही हुआ जब नाभि में छेद करने के बाद लोगों ने वो बेधी हुई नाभियाँ देखनी चाहीं - ऊपर से बैकलेस टॉप का आगमन। मेरे पेट के बाल निकालने के बाद, मैंने मेरे शरीर के दूसरे हिस्सों के ‘अनावश्यक बाल’ निकालने शुरु किये। हर महीने मैं सैकड़ों रूपये खर्च करती मेरा पेट और पीठ वॅक्स कराने में, मेरी टाँगों  और बाँहों के साथ। इससे ब्यूटी पार्लर के दूसरे ग्राहक मेरी  ‘हिम्मत’ से (मेरा बिन ड़रे वॅक्स की पट्टियों का स्वागत करना) ज़्यादा अचंभित होते ना कि बालों को लेकर मेरे शर्मीलेपन से। अगर उनमें से एक ने भी  शरीर के बालों का हंगामा भूल जाने को कहा होता तो बहुत अलग बात होती । इसके बदले उन्होंने मुझे यह कहा कि मेरी भौंहें सुंदर थीं और मुझे उन्हें काटना नहीं चाहिए - यानी शरीर के कुछ भागों पर बाल होना उचित था। तो फिर सिर्फ कुछ भाग क्यों? भौंहों को कैसे असली माना गया, उन पर बालों का रहना क्यों स्वभाविक था, जब कि मेरे शरीर के दूसरे हिस्से सिर्फ मेरे नैसर्गिक बालों के बिना ही आकर्षक लग सकते थे? धीरे धीरे यह ज़ाहिर होता गया कि जब मैं सेक्स करना शुरू करूंगी, तब मैं जघन  पर  कोई भी बाल नहीं रहने दूँगी। उन जंगली बालों को जाना ही था। मैं मेरे मर्द के सामने, चाहे वो कोई भी हो, और चाहे वो ख़ुद कितने बालों वाला क्यों ना हो,  एक बालदार औरत जैसी नहीं पेश आना चाहती थी। यह ज़ाहिर बात थी कि वो अपने जघन के बाल काटेगा, या शायद नहीं भी काटेगा (मुझे तब बालदार अंडकोषों के बारे में कुछ नहीं पता था), और वह मेरे ख़ूबसूरत जघन से लगकर एकदम चिकना लगेगा। और यह तो ज़ाहिर था ही कि वो यही चाहेगा, नहीं तो मेरे जघन के हिस्से को अपने मुँह से वो कैसे आनंदित करेगा? मैं हर महीने मेरे शरीर का सर्वाधिक हिस्सा वॅक्स करती रही। मेरे साथ रहनेवाली लड़कियों के सामने मैं रातोंरात बड़े आत्मविश्वास से कपड़े बदलने लगी थी। वो लड़कियाँ इस बात पर कुछ ख़ास गौर ना करती। वो सिर्फ मैं ही थी जो हर रोज़ समय बिताती अपने बालों के वापस बढ़ने की सूक्ष्मतापूर्वक छानबीन करती हुई। लेकिन यह मेरी ब्यूटिशन के ध्यान में आया था; उसने मेरी नियमितता को प्रोत्साहित किया और वादा किया कि ‘शादी के बाद’ मेरे बाल बहुत धीरे और कम बढ़ेंगे। तब तक, सिर्फ मैंने देखा था कि मेरी जांघों के बीच क्या था। सिर्फ मुझे पता था कि मेरे ऐसे नितम्ब थे जिन पर सभी जगह ‘स्ट्रेच मार्क’ फैले हुए थे। यह ही नहीं, उन पर भूरे रंग के बालों की परत भी  थी। वहाँ शरीर के और वॅक्स किए गये हिस्सों जैसी कोई खुजलाहट नहीं होती थी। सिर्फ मैं जानती थी कि बाल हटाने से मेरी काँखों की बू नहीं बदली थी। मुझे लगता था कि मुझे मेरा शरीर कुछ दिन दूसरे दिनों से ज़्यादा -  सच्चा - लगता था, और मैं यह जानती थी कि इसका कारण मेरा शरीर नहीं, मेरा मन था। यह जानने के बावजूद, मैं मेरे जीवन की दिनचर्या मेरे बालों के फिर से बढ़ने के कालचक्रो के इर्द-गिर्द रचती रही, लेकिन कम जोश से। मैंने जब पहली बार किसी के साथ सेक्स किया, मुझे पहले से पता था हम सेक्स करने वाले हैं। तब मेरे पास बहुत समय था, अपना एक ऐसा रूप प्रस्तुत करने के लिए जो बहुत आकर्षक था और जिसे कोई ना नहीं कह सकता था। मैंने मेरे जघन के बाल रहने दिए - मैं धीरे धीरे समझने लगी थी कि बाल निकालने के इस कारोबार में भी भेदभाव है। मैं बहुत आतुर थी कि उस रूप में स्वीकारी जाऊ जो मेरा नहीं था। इतनी आतुर कि मैंने यह भी नहीं सोचा कि अगर मैं जैसी हूं वैसे ही कोई स्वीकार ले तो कैसा लगेगा। क्योंकि बेशक, निश्चित रूप से, वह रूप कितना अनाकर्षक होगा, नहीं? तो जैसे आप देख रहे हो, मेरा ध्यान फिर से मुझसे हटकर, उनपर, लड़कों पर चला गया। चूंकि लड़के मेरे सामने मुझे आकर्षित करने के लिए, इतराते नहीं थे, इसलिए मैं उनके लिए  इतराती थी। एक और सेक्स पार्टनर लगा मुझे एक आश्चर्यजनक पर आरामदायक निष्कर्ष तक पहुँचने के लिये। हम एक पार्टी में मिलें जहाँ हम पूरी तरह से नशे में डूब गये। हमने ओरल सेक्स एक ऐसी खोली में किया जहाँ बड़ी तेज़ लाइट लगी हुई थी जिसने मेरे ‘कम तैयार’ शरीर पर बेधड़क रोशनी डाली। यहाँ मेरे सामने एक लड़का था जो कपड़े उतारकर एक नैसर्गिक रूप से बालहीन शरीर मुझे दिखा रहा था। तो मैंने मेरी आँखें एक दूध पीती बिल्ली की तरह बंद रखीं - जैसे अगर मैं दुनिया नहीं देख सकती, दुनिया भी मुझे नहीं देख सकती। वो मुझे बड़े नशीले उत्साह से सभी जगह चूमता गया। उसे परवाह नहीं थी वो चीज़ देखने की - जैसे नाभि का मणि - जो किसी अत्यधिक चीज़ के बीच बैठा था - यानी पतले, काले बाल। जब मैंने उसकी अंडरवियर खींची, उसे निकालने के लिए, वह थोड़ा डगमगाया और कहा कि उसने जघन के बाल नहीं काटे थे। तो क्या हुआ। मैने उससे कहा कि उसको ऐसी चीज़ो के बारे में परेशान नहीं होना चाहिए (“अरे पगले, मैंने भी जघन के बाल नहीं काटे थे”) और मुझे यूं लगा कि मेरी संवेदनाएं कितनी बेहतर हो गयी थीं। कोई दूसरा मेरे शरीर से आनंद प्राप्त कर रहा था, और इस बात से मुझे मेरे शरीर से और भी आनंद मिला। यह बात मायना ही नहीं रखती थी कि मेरी त्वचा किस हाल में है I इससे पहले मैंने कभी आत्मीयता को इस प्रकार से जाना नहीं था। तो क्या वह सेक्स था जिसके लिए मुझे बिना बालों का आकर्षक रूप चाहिए था? क्या सेक्स वह खेल था जिसके लिए आप दैव्य शरीर चाहते हो.. मुझे लगा  शायद मुझे इस खेल के नियम ठीक से समझ में नहीं आए थे। या फिर क्या वह शराब थी जिसकी वजह से उसे  मेरे बालों का स्पर्श नहीं हुआ? मुझे इसकी जाँच करनी थी। हमारी इस मुलाकात के बाद, मैंने उसे सेक्स के लिए कई बार फोन किया। उसने पहला उत्तर काफी देर बाद दिया। लेकिन एक बार फिर, सेक्स के पहले हमने शराब पी रखी थी। मैंने मेरी बाँहें और काँखें वॅक्स कर रखी थीं, लेकिन मेरी टाँगें वैसी ही थीं। मैंने पेट के बाल निकालने के बारे में सोचा तो था, लेकिन फिर मैंने ख़ुद को ही डाँटा कि जो नयी बात समझ में आयी थी मैं इतनी जल्दी भूल गयी!” और तो और, यह मेरे सिद्धांत की परख है, तुम यह जानते हो न, ओ मेरे चंचल मन?” सेक्स, जो इस बार दिन के उजाले में हुआ, ख़ास अलग न  था - उसने मेरी पीठ और पेट के ऊपर के बालों की इतनी परवाह नहीं की, और मेरी बालों से भरी जघन के हिस्से पर अपना पूरा ध्यान केंद्रित किया। ऐसा लगता था कि वह ऐसा यह दिखाने के लिए कर रहा है कि वह यह काम कितनी अच्छे से कर सकता था। या फिर वह ऐसी चीज़ थी जो वो ख़ास मेरे लिए कर रहा था, और इस बात से मैंने अपने को सेक्सी अनुभव किया, हालांकि मुझे थोड़ी हड़बड़ी सी भी लगी। लेकिन इस बार भी हम पूरे होश में नहीं थे।    तो मैं जाँच एक कदम और आगे लेकर गयी (या फिर यह भी हो सकता है कि मैं बस यह चाहती थी की इस लड़के के साथ फिर से सेक्स करूँ.) जघन के हिस्से को छोड़कर मैंने पूरा शरीर वॅक्स किया था। मैंने सेक्स के लिए उसे फिर फोन किया, यह ध्यान में रखते हुए कि मैं नशे में ना रहूं। मैं पहले से बहुत जल्दी कामोत्तेजित हो गयी; जैसे कुछ बालों को  ख़ोने से थोड़ी और संवेदनशीलता पा ली थी। उसके स्पर्श और गहरे लगे, इतने कि दो जगहों पर मेरे शरीर में ऐंठे आ गयीं । और वो? वो मेरे साथ ज़्यादा आराम से सेक्स कर रहा था। मैंने सोचा कि क्या इसकी वज़ह मेरी वॅक्स की गयी  त्वचा थी, पर फिर मुझे याद आया कि हम तीसरी बार साथ थे । पहले जैसे उसने मेरी हर क्रिया को प्रतिक्रिया दी। और सबसे महत्त्वपूर्ण बात, उसने मेरी जघन के हिस्से पर उसी जोश से ध्यान केंद्रित किया। और तो और, उसने यह भी माना कि बिना नशे का सेक्स और भी अच्छा था। वॅक्स की हुई त्वचा का सेक्स बेहतर था या नहीं: मुझे तो लगा कि हाँ,  मेरे लिए तो वो निश्चित रूप से बेहतर था । फिर भी, हमारी अगली मुलाकातों के दौरान, कहीं न कहीं, मैं अपनी वो जाँच करना भूल गयी। शरीर के ऊपर के बालों के बार-बार आने और जाने से उसे कोई फ़र्क नहीं पड़ा और ना ही उसने उसके बारे में कुछ कहा। फिर मुझे वो समय याद आया जब मैं स्यानी हुई ही थी : मुझे पता चला था कि मर्द इन चीज़ों पर  सिर्फ तब ध्यान देते हैं,जब दूसरे मर्द उनकी सहेली की वॅक्स न की गये बाँहों पर हँसते हैं। मेरा यह मित्र इन मर्दों से अलग था। इस कारण मुझे वो अनमोल लगता। पर शायद यह सब उसकी वजह से नहीं है; असली वजह सेक्स है जिसकी वजह से यक़ीनन मुझमें बदलाव आया है। ऐसा सेक्स जिस से  बाल रूपी  सभी काँटे यूं पिघल गये कि उनमें नोक ना रही.. आप समझ रहें है? ऐसा सेक्स, जहाँ मेरा शरीर अपना आत्मीय बन गया है, ख़ुद को पसंद करने लगा है , दूसरों को पसंद आने लगा है I एक निष्क्रिय वस्तु के रूप में रहकर  काल्पनिक उत्कृष्टता के पीछे भागनेसे कहीं बेहतर । शायद और लोगों  के साथ सेक्स करने के बाद वो बंदा मुझे इतना अनमोल ना लगेगा? अब मैं मेरे शरीर के बालों को यूं भी रहने देती हूं, और वॅक्स भी करती हूं, शायद इतने नियमित ढंग से नहीं। अक्सर तब करती हूं, जब मुझे मेरी त्वचा पर ठंडी हवा महसूस करनी होती है। मैं बोल नहीं सकती क्या सेक्स की वजह से बालों के बढ़ने का दर कम होता है (जैसी मेरी ब्यूटीशन का दावा था), लेकिन निश्चित रूप से पूरे समय बालों के बारे में मेरा सोचना कम हुआ है, भला वह बालों के ख़यालों की रणभूमि अब भी सक्रिय ही क्यों न हो। फेंट परहॅपसेस अपनी मास्टर्स डिग्री के पहले साल में है और सेक्स करने के दूसरे साल में है। वो अब यह सोच रहीं है कि कैसे यह सब उसके बायो डेटा के लिए ज़रूरी है। वह ख़ुद से टकराने वाले, कामुक लेख यहाँ लिखती है।
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