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क्या अलग-अलग भाषाओं में प्यार का स्वाद अलग-अलग होता है? 

Do words in different tongues shape how we experience love itself?

कोचु कल्लन। मक्खणा। आम्बा तोतापुरी कुन्जू चक्काकुरु। क्या अलग अलग ज़ुबान से निकले शब्द ये तय करते हैं कि  हमारे लिए प्यार का अनुभव कैसा रहेगा? हम्सी मंगलानी द्वारा  कभी कभार, एक भाषा के घुमाव और ठहराव को बारीकी से ढूंढने और समझने से ही उस भाषा की खूबसूरती नज़र आती है। ठीक वैसे, जैसे कोई उसपर ध्यान देता है जिसे वो पसंद करता है, इस उम्मीद में कि दूसरे की नज़र भी उसपर मेहरबान होगी। और ये एक ऐसी पुनःखोज है, जो कुछ लोगों के लिए उस चमक जैसी है जो धुल से भरे टूटे-फूटे रास्ते पर पड़े एक चांदी के सिक्के से निकलती है। मेरी जिंदगी में ऐसे कई पल आये। तब, जब मैंने फ्रेंच सीखना शुरू किया। सबसे रोमांटिक भाषाओं में से एक, गौर से देखने पर इस भाषा के कुछ भावों ने अपने भेद खोले। और मैंने जाना कि ये रोमांस के लिए एक बेहतरीन भाषा है। "They get along/दोनों में अच्छी बनती है" के लिए फ्रेंच में "ils s'entendent bien" कहा जाता है। इसका अनुवाद है, "वे एक दूसरे को अच्छी तरह से सुनते हैं" एक दूसरे के साथ बनने का मतलब एक दूसरे को अच्छी तरह से सुनने से ज़्यादा क्या हो सकता है? उन्ही दिनों मैं अपने कुछ करीबी रिश्तों, जो रोमांटिक या वैसे ही कुछ थे, से अलगाव के दौर से गुज़र रही थी। "I Miss You" का फ्रेंच अनुवाद जानना मेरे दर्द को और बढ़ा रहा था। इसका फ्रेंच अनुवाद था "Tu me manque" इसे इस तरह से गढ़ा गया है कि इसमें  तुम (tu) को ‘मैं' (me) से पहले रखा गया है। ऐसा लगता है जैसे कहा जा रहा हो, “तुम मुझे मिस कर रहे हो", जबकि वास्तव में कहने का मतलब इसका उल्टा होता है।  ‘मैं' मिस कर रहा हूँ… ‘तुम' नहीं! मैंने इस मज़ेदार पाठ को और बारीकी से समझने की कोशिश की। हाँ, भले ही इससे ये ज़ाहिर हो रहा था कि मैं इस बात से बेचैन थी कि मेरे वो रिश्ते शायद मुझे उतना मिस नहीं कर रहे थे जितना मैं उनको। कुछ हफ्तों बाद जब मेरी फ्रेंचभाषा पे पकड़ थोड़ी और मजबूत हुई, तो पता चला कि “Tu me manque" का सही मतलब होता  है “You are missing in me (आप मेरे अंदर गैरमौज़ूद हैं)” आप किसी को उनके पास ना होने पर याद करते हैं, क्योंकि ये आपके अंदर उनकी कमी का एहसास दिलाता है। इस बात ने मेरी चाहत और प्यार के अनुभव के मूल पर एक गहरी, चमकती सी छाप छोड़ दी। भाषा की बारीकियों को अपनी बात कहने के लिए इस्तेमाल करते हुए, मैंने पाया कि मुझे अलग-अलग, परेशान करने वाली, ना बता सकने वाली भावनाओं को समझने में मदद मिल रही थी।   फ्रेंच भाषा में अंग्रेजी भाषा के मुकाबले बस एक-तिहाई शब्दावली (vocabulary) ही है। वे इससे कुछ इस तरह काम चलाते हैं; वे अलग-अलग चीजों के लिए एक ही तरह के शब्द का प्रयोग करते हैं। एक ही शब्द "baiser" का इस्तेमाल किस/चुम्मा और सम्भोग,  दोनों के लिए किया जाता है। भले ही यह सुनने में थोड़ा शर्मनाक लगे, लेकिन मेरे लिए तो ये खुशी की बात थी। एक अकेले किस का भी उतना ही सुखद एहसास हो सकता है जितना सेक्स का और सेक्स में भी किस जैसी कोमलता हो सकती है। मैं उनके बारे में सोच कर हैरान होती हूँ, जिन्होंने कभी ये कहा है कि, "लेकिन मुझे लगा कि ये मामला सिर्फ सेक्स के बारे में था" अलग-अलग भाषाओं में, शब्द अलग-अलग मायनों के साथ फ्लर्ट (इश्कबाज़ी) करते हैं और ये मायने भी वापस फ्लर्ट करते हैं। और तब दोनों एक साथ नए शब्द पैदा करते हैं ! मुझे लगा कि एक थ्योरी मेरे मन में पनपने लगी थी : ऐसा हो सकता है क्या कि अलग अलग भाषाओँ में  प्यार का एहसास भी अलग होता है? या ऐसे कहें कि हम जिस तरह की भाषा का प्रयोग करते हैं, प्यार का स्वाद भी वैसा ही निकल कर आता है? अब भारत की अलग अलग भाषाओं में प्यार-की-बोली की पड़ताल करना तो बनता था। और जब मैं ये खोज करने निकली तो मैंने पाया कि मुझे इस 'प्यार-के-बोल' थ्योरी के लिए उदाहरणों की कोई कमी न थी। एक महाराष्ट्रीयन मित्र ने एक बार टिप्पणी की, "हम हमेशा दिल को लेकर पागल हुए जाते हैं। फोकस दिल से कलेजे / लिवर पर शिफ्ट करना चाहिए; कलेजा वो बला है जो अपने को बार बार नया जीवन देता है!” मराठी भाषी लोगमाज़ा कलजाचा टुकड़ाजैसे शब्दों से खुद को जोड़ सकते हैं । इसका मतलब होता है "मेरे जिगर का टुकड़ा" कभी-कभी किसी बहुत ही ख़ास व्यक्ति को प्यार जताने के लिए, आप प्रेम को नया ठिकाना ही दे डालते हैं। मराठी भाषा में प्रयोग होने वाला एक और वाक्य जो कि लगाव, विशेषकर रोमांटिक किस्म के लगाव, का सटीक वर्णन करता है - "तुझ्यात जीव अडकला": मेरा जीवन तुम में फंस/अटक गया है। ये प्यार की चुम्बक जैसी उस पकड़  को व्यक्त करता है, जिससे आपको आपके प्रेमी से अलग करना काफी मुश्किल हो जाता है। और अगर बात अटक जाने की है, तो सिंधी भाषा में कहा जाने वाला एक वाक्य है जो हसरतों की पकड़ को दर्शाती है: "तुंजी सिक्के ती लागे" तुम्हारे "सिक्के" ने मुझे जकड लिया है। "सिक्के" उन शब्दों में से एक है जिन्हें पूरी तरह से किसी दूसरी भाषा में अनुवादित नहीं किया जा सकता है। सुन के भले ही थोड़ी हैरानी हो, लेकिन बीते वक़्त की यादों के इस एहसास को वर्णन करने का सबसे करीबी अंग्रेजी शब्द है 'होमसिक' (homesick)' सिक्का और सिक , यानी शब्दों के ये जुड़वे जिनका जन्म बिलकुल ही अलग-अलग संस्कृतियों में हुआ हो। मेरा मन एक और जोड़ जोड़ता है:  'सिक' शब्द की आवाज़  बहुत हद तक गहरी सिसकी की आवाज़ जैसी सुनाई देती है, है न?  अपने दिल के दर्द को बयान करते हुए, एक बार मेरी एक दोस्त ने बताया कि अंग्रेजी में कहे जाने वाले वाक्य दर्द की तीव्रता को सही ढंग से समझा पाने में अक्सर नाकामयाब होते हैं। एक व्यक्ति जो किसी सदमे से गुज़र रहा है, उसे दिलासा देने के लिए वो लोग अपनी मातृ-भाषा गुजराती में "जीवा काई बडे छे" मतलब कि "अपनी आत्मा क्यों जला रहे हो" जैसे वाक्य का प्रयोग करते हैं। वो कहती है कि ऐसे वाक्य के इस्तेमाल होने पर, खुद को लगता है कि दूसरे को हमारा दर्द समझ आ रहा है। क्योंकि कई बार दिल का दर्द सचमुच ऐसा लगता है कि जैसे आत्मा में आग लगी हो। कभी-कभी, प्यार के मोड़ पे, ऐसे शब्द ही हमारा सहारा बन जाते हैं ।  
अगर ऊपर दिए गए शब्दों का इस्तेमाल गहन प्रेम को ज़ाहिर करने के लिए किया जा सकता है, तो अब सुनिए ऐसे शब्द जो सुनने में तो हल्के लगते हैं, लेकिन हैं सम्मोहक। क्या कभी आपको ऐसा मन किया है , कि आप अपने 'चितचोर' को हार्टथ्रोब (heartthrob) कहकर बुलाएं। माने आप कहना तो चाहते हो कि - "दिल मेरा चुराया क्यूं?" लेकिन और बढ़िया तरीके से ।मुझे ऐसा कर पाने का मन कई बार हुआ है। मुझे यही लगता था कि काश मैं अंग्रेजी शब्द 'पाइरेट' (pirate) को बड़े शातिर तरीके से किसी वाक्य में ऐसे पेश कर पाऊं जिससे मेरा पार्टनर मेरी बात की बारीकी समझ पाए। लेकिन फिर मेरी मुलाक़ात मलयालम शब्द "कोचु कल्लन" से हुई । जीभ की उलट फेर से निकलता है ये गुदगुदाने वाला,  मलयालम भाषा में किसी को लाड़-प्यार से कहे जाने वाला शब्द ।इसका इस्तेमाल, किसी को प्यार से 'नन्हा चोर' कहने के लिए होता है। उफ़ कमाल ! मुझे खुद को अब ये सिखाना होगा कि मैं इसका ज़्यादा इस्तेमाल ना करने लगूं ! हम अपने अंदर भावनाओं का अम्बार, बल्कि एक प्यार का भूगोल रखते हैं । ये हमारी प्राइवेट जगह है जहां सिर्फ हम जानते हैं कि ये नदियाँ किसके लिए बहती हैं, किसके कारण हमारे अंदर ज्वालामुखी फटता है, घाटियों के तले हम किस से मिलना चाहते हैं, ज्वार-भाटा (high tide) के वक़्त समुद्र किनारे हम किस की राह देखते हैं। और कभी-कभी हम उस ख़ास किसी को शब्दों से बना एक छोटा नक्शा देते हैं, ताकि वो हमें सही जगह पर मिल सके । एक और तरीका भी है:  अपने प्यारे किसी के नाम के पिछले भाग को थोड़ा झालना, संवारना। इसी तरीके से श्रद्धा, श्रधुपुदु बन जाती है, रियाज़, रिजु बन जाता है, मेरी बहन जिसका पंजाबी नाम लवलीन है, वो मेरे मराठी दोस्तों के लिए लावल्या बन जाती है, एक पहाड़न दोस्त जिसे उसके चाहने वाले इंदु बुलाते हैं, वह इंदुली बन जाती है, एक मारवाड़ी दोस्त चन्दन तो चांदुडो बन जाता है। ऐसे और भी कई उदाहरण हैं। दूसरा तरीका है, प्यार से दिए नाम यानी निकनेम्स (nicknames) रखने का। और हम सब ये तो जानते ही हैं कि बंगालियों के बीच तो ये प्रथा कुछ ज्यादा ही फेमस है। एक और भी तरीका है, जिसे मैं मज़ाक में कुछ ऐसे कहती हूँ: जो एक भाषा में खाया जा  सकता है, वो दूर कहीं भी पकाया जा सकता है । फ्रेंच सीखने के दौरान मैंने सीखा  "chouchou", जिसका उच्चारण "शुशु" होता है और जिसका मतलब होता है "बंदगोभी -बंदगोभी" । तो इस शब्द का इस्तेमाल किसी को स्वीटीपाई कहकर बुलाने के लिए किया जा सकता है। ये अर्थ मुझे सही भी लगा क्यूंकि कई बार मैं अपने छोटे कजिनस (cousins) को कहती भी हूँ कि वे इतने प्यारे हैं कि मुझे मन करता है उनको निगल ही जाऊं।। अपनी इस थोड़ी अजीबो-गरीब लेकिन प्यारी सी थ्योरी के बारे में गौर से सोचने पर मुझे लगा कि जो हमें प्यारे लगते हैं,  उनको खाने की चीज़ के साथ जोड़ना एक आम बात है। फिर से  गोल मटोल मलयालम के बारे में जानना शुरू किया तो "चक्काकुरु" के बारे में सुना। इससे पहले कि मुझे पता चलता कि इसका  मतलब है: कटहल (jackfruit) के बीज, मैं इस शब्द के सुरीलेपन की फैन हो चुकी थी। जिस औरत से मैंने यह सीखा है, वह अपने पालतू कुत्ते को इस नाम से बुलाती थी। आप में से जिन लोगों ने कटहल के बीज नहीं देखे हैं, वे चिकने होते हैं, और गोल छोटे पत्थर की तरह दिखते हैं। जिन्हें आप अपने पॉकेट में भर लेना चाहेंगे, और पॉकेट भर जाने के बाद बोतलों में उन्हें  जमा करेंगे। अभी मैंने ये तय किया ही था कि मैं अपने आँख के कटहल को इसी नाम से बुलाऊंगी कि तभी मुझे इसके एक हल्के से अलग रूप का पता चला। कुंजु (उच्चारण में-कुन-न्यू) चक्काकुरु - छोटे कटहल का बीज। मुझे तो लगता है कि आपका मन करेगा कि अपने सारे बच्चों की यही नाम दे दें। अगर नहीं, तो मैं आशा करती हूँ कि आपको इससे भी कोई प्यारा सा फल मिले, जिसके नाम से आप अपने बच्चों को बुला सकें। एक बार मैं लावणी डांस देखने गई, जिसने मुझे पूरी तरह से हिला कर रख दिया। लावणी अपने दिलकश और दोहरे मतलब वाले गानों से दर्शकों को लुभाने के लिए जानी जाती है। लेकिन ये वाला कुछ स्पेशल था। इसकी लाइन कुछ ऐसी थी: अल्फांसो आम के पीछे क्यों पड़ना? तुम वो खरीद भी नहीं सकते। इसलिए मेरे करीब आओ और उसके बदले ये अम्बा तोतापुरी (तोतापुरी आम) ले लो। गाने में औरत को ये सुझाव देने में कोई संकोच नहीं हो रहा है कि वो सस्ती किस्म की आम है (या उसके स्तन सस्ते आम हैं) तोतापुरी आम को ज़्यादा रस और नीचे की तरफ से नुकीले आकार का होने के लिए जाना जाता है। वैसे जिन बातों को "भद्दा" कह कर नकार दिया जाता है, इस गाने ने उन बातों को एक नया ही मतलब दिया गया था। साथ ही ये भी बताया जा रहा था कि जिस शरीर को हम इतना प्यार करते हैं, जिसका इतना ख्याल रखते हैं, उसका इतना स्वादिष्ट नाम भी हो सकता है। इस से पहले कि मुझे पता चलता कि "मखना" हनी सिंह के एक गाने का नाम भी था, मैंने पंजाबी लोगों से प्यार से कहे जाने इस शब्द को बॉलीवुड के फीके गानों में सुना था। लेकिन मखना शब्द का इस्तेमाल अपने मिलते जुलते शब्द मक्खन की तरह ही, किसी बहुत ही प्यारे व्यक्ति, जो कोमल हो, सम्मोहक हो, जिसे ना कहना मुश्किल हो, और जिसमें थोड़ी सी गर्मी देने भर से ही गर्माहट जाए... के लिए किया जाता है। और मक्खन की तरह ही, नमक डालने से किसी भी व्यंजन में काफी स्वाद जाता है। "निमोखोर टुपुला" जिसे असामी भाषा में "नमक के एक पैकेट" के लिए इस्तेमाल करते हैं, वह इस बात पर ज़ोर देता है कि ज़रूरी नहीं कि प्यार में सब कुछ मीठा ही हो। कहने का मतलब है कि प्यार टेढ़े और मुश्किल दिखने वाले लोगों से भी मिल सकता है। ऐसा लगता है जैसे हर व्यंजन की तरह ही हर भाषा का भी अपना एक मेनू होता है। और प्यार में तो हमें अलग-अलग स्वाद लेने की अनुमति होती ही है। कभी-कभी ये मिक्स-एंड-मैच मेनू, जैसे कि बुफे (buffet), हो सकता है। और कभी-कभी ये मेनू से बाहर का भी कोई शब्द हो सकता है। हम अक्सर अपने प्यारे लोगों को कुछ भी नाम दे देते हैं। मेरे आलसी दोस्तों के लिए सबसे आसान होता है नाम को ही छोटा कर देना- वो नाम को काट के आधे जितना छोटा कर देते हैं, और बाकी आधे में अपने हिसाब से कुछ भी जोड़ देते हैं। वत्सला वत्स हो जाता है, प्रिया प्री हो जाती है, अवनी अवू बन जाती है, अरोरा रोरस बन जाता है। लेकिन हममें से कुछ लोगों के लिए, नाम काटने से बात नहीं बनती। ऐसे लोगों के लिए स्ट्रॉबेरी शॉर्टेकेक (strawberry shortcake) वाले गाने जैसी चीजें भी मौजूद हैं! याद है ना "You’re my cuppycake, gumdrop shnoogums-boogumsh” वाला गाना? (यह उस समय बहुत लोकप्रिय था जब मोबाइल फोन के रिंगटोन को हम अपने हिसाब से बदला करते थे।) कहने का मतलब ये है कि भाषा की सीमाएं कभी कभी हमें प्यार की अपनी ही एक भाषा बनाने के लिए प्रेरित करती है। ऐसी भाषा जिसमें हिस्सेदारी बिल्डर-डॉक्टर जैसे लोगों की तो है ही, साथ में क्रिएटिव लोगों की भी हो सकती है, जो खुद नए-नए शब्द बनाएं। फ्रांसीसी साहित्यिक जानकार और शातिर टाइप का बन्दा, रोलांड बार्थेस का कहना था, प्यार की सारी बातें बीती बातों को बस दोहराती हैं। लेकिन मुझे नहीं लगता कि ये सच है। इच्छाओं के सागर में होते हुए बड़े बदलावों के साथ खुद को ढालने के लिए लोग खुद अपनी भाषा का आविष्कार कर लेते हैं। और ये अलग अलग भाषाओँ में, अलग अलग प्रेमियों में, अलग अलग प्रियजनों में, अलग अलग तरीकों से होता है। हम भाषा को आकार देते हैं, और यही शायद फिर दुनिया को आकार देता है।।   लेखक का असली नाम हमसी है (इसकी कहानी उन्हीं से पूछें) वो खुद को ओल्ड सोल (oldsoul), ट्वेंटी समथिंग (twentysomething), लस्ट क्वीन (lustqueen), ग्रीफस्टार (griefstar) जैसे नाम देती हैं। अगर आप उनके लिए प्यारा सा मीठा सा नाम सोच लें, तो तो बस, ये बात उनके सर ही चढ़ जाएगी
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