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(English) Different Personas In Bed

Perhaps we adopt sexual personas to make ourselves feel more confident, or to make our lovers feel more confident. Some people adopt different personas as a temporary holiday from their real lives.

  हम सब ने लोगों को यह कहते हुए सुना है "लेकिन वह तो मेरी घरेलू छवि है/दफ्तरी (ऑफिस वाली) छवि है/ऑनलाइन छवि है!" वो अक्सर ऐसा तब कहते हैं जब आप आश्चर्य व्यक्त करते हैं कि उन्होंने कुछ ऐसा किया है जो उनके साधारण बर्ताव से बिल्कुल अलग है। इस बात ने हमें सोचने पे मजबूर कर दिया की क्या लोगों की अलग-अलग लैंगिक/कामुक छवियां भी होती हैं?   इस बात की कल्पना करना मुश्किल नहीं है: जब आप और आपका पार्टनर यह जान जाते हैं कि आप दोनों आखिर एक साथ अकेले हैं, तो बिजली का एक तार मानों आप से होते हुए गुज़रता है  और आपकी सेक्सी छवि के बटन को ऑन कर देता है। जब हम अपने आप को काम वासना रखने वाले जीव के रूप में अभिव्यक्त करते हैं, तो हम अपने व्यक्तित्व में कुछ ऐसी बातें भी अपना लेते हैं, जो हमारे आम जीवन में हमें नहीं दिखतीं। आप जानते हैं कि हम क्या कह रहे हैं। ऐसा हो सकता है कि हम में से कुछ लोग बिस्तर पर ज़्यादा आश्वस्त हो जाते हैं, छा जाते हैं, या फिर अपने आम व्यक्तित्व के विपरीत, कुछ ज़्यादा शर्मीले हो जाते हैं। या फिर हम उन कामुक/सेक्सी लोगों की कामुकता को अपने अंदर लाने की कोशिश करते हैं जिन्हें हम बेहद पसंद करते हैं। शायद हम इन कामुक मुखौटों को इस वजह से अपनाते हैं कि हम ज़्यादा कॉन्फिडेंट महसूस कर सकें, या फिर अपनी प्रेमिकाओं/अपने प्रेमियों को आश्वस्त महसूस कराने के लिए। कुछ लोग इन अलग व्यक्तित्वों को अपनी असली ज़िंदगी से कुछ समय की छुट्टी पाने के लिए अपनाते हैं।   हमने कुछ लोगों से बात की, उन कामुक, भिन्न व्यक्तित्वों के बारे में, जिन्हें वो मज़े से अपनाते हैं। आइये देखते हैं कि बिस्तर में वो क्या बन जाते हैं या क्या बन सकते हैं, उसके बारे में उनका क्या कहना है।   उल्टा-पुल्टा जमेगा: "बेड़रूम के बाहर, मेरा व्यक्तित्व एक लीडर का है: मैं ही आयोजक हूँ और मुख्य प्रशासक भी। जब में बिस्तर में होती हूँ, मुझे आज्ञाकारी बनना पसंद है, और मैं चाहती हूँ कि उसका (मेरी पार्टनर का) मुझ पर काबू हो। मुझे इससे बेहद कामोत्तेजना होती है, कि किसी के पास मेरे साथ ऐसा करने का दुस्‍साहस है," कहती है पुन्या, जोकि बैंगलोर में रहने वाली एक छात्रा है जो दूसरी औरतों को डेट करती है। "मैं जानती हूँ कि मैं अपना हुकुम चलाती हूँ और जो कुछ करती हूँ, बिलकुल सचेत होकर करती हूँ, मेरी चाल भी कुछ ऐसी है, मैं किसी व्यक्ति को मेरी ओर ज़्यादा देर घूरने के लिए पीट सकती हूँ। तो जब कोई मुझे काबू में कर सकता है, या मेरी हथेलियों को नीचे कर के मुझे चूम सकता है, तब मुझे कामोत्तेजना महसूस होती है, तो मैं इस बारे में क्या करूँ?" पुन्या को यह बात बहुत पेचीदा लगती है कि बेड़रूम मात्र ऐसी जगह है जहां वह खुद को छूट देती है, अपने शासक व्यक्तित्व को दरवाज़े के बाहर छोड़कर एक ज़्यादा अधीन व्यक्तित्व अपनाने की। लेकिन उसे यह समझ में नहीं आता कि इसके क्या कारण हो सकते हैं।   बैंगलोर की निवासी, २५-वर्षीय सान्या, अपने आप को एक "गरजनेवाली, तूफानी फेमिनिस्ट" बताती हैं , लेकिन कहती हैं कि उसे बहुत अच्छा लगता है जब बिस्तर में कोई उसके साथ "नारीवादी के खिलाफ जाने वाली हर तरह की चीज़" करता है। "इस बात को समझाना बहुत कठिन है। मेरी रूह और मेरे शरीर को अपने मेल पार्टनर द्वारा अपमानित होना बहुत भाता है। मुझे मज़ा आता है जब वह मुझे घसीटकर यहां वहां फेंकता है, मुझे चोट पहुंचाता है, बस बिस्तर में मेरे ऊपर अपनी ताकत को जताने के लिए। जिस तरह से आदमियों और औरतों को एक दूसरे से पेश आना चाहिए, और जिस तरह के बर्ताव की मैं बाहरी दुनिया में मांग करती हूँ, यह उसके बिल्कुल विपरीत है।"   दिल्ली में बसे, ३०-वर्षीय वकील अर्जुन ने अपने लैंगिक छवि को बदलते हुए देखा है। वह इस बात पर निर्भर करता है कि अपने जीवन में होनेवाली और बातों को वह किस तरह संभाल पा रहा है। "मैंने देखा है कि जब मैं दूसरी चीज़ों में, जैसे कि काम में या अपने दोस्तों के साथ, शक्तिहीन महसूस करता हूँ, तब में बिस्तर में ज़्यादा हावी और अधिकारक बन जाता हूँ। मैं ऐसा जान-बूझ कर नहीं करता, लेकिन बाद में मुझे इसका एहसास होता है। शायद यह एक ऑटोमैटिक प्रतिक्रिया है, उन कमियों को पूरी करने के लिए जिन्हें मैं महसूस कर रहा हूँ। या फिर मैं जैसा बनना चाहता हूँ, यह उस मनोकामना के पूरे होने जैसा है।”   तो ज़ाहिर है कि सेक्स में कुछ ऐसी ख़ासियत है जो हमें हमारे सामान्य व्यक्तित्व से अलग कई छवियों को अपनाने देती है, लेकिन वजह सबके लिए अलग हो सकती है। कुछ लोग सिर्फ व्यक्त करना चाहते हैं कि उन्हें असल में कैसा बनना है, जबकि कुछ सेक्स का इस्तेमाल करते हैं उन भावनाओं को बाहर निकालने के लिए जो वह किसी और ज़रिये से नहीं कर सकते। कुछ लोग अपने व्यक्तित्व से जुड़े नए पहलुओं पर रोशनी डालने के लिए भी सेक्स का इस्तेमाल करते हों। इसका मतलब है कि सेक्स एक बढ़िया तरीका है अपने आप को व्यक्त करने का और अपने आप आप को बेहतर जानने का।   भूमिका निभाना/रोल-प्ले: कुछ लोग अपने बिस्तर की छवि को सचमुच और बहुत प्रत्यक्ष तरह से अपनाते हैं, जैसे कि रोल-प्ले के बहुत से रूपों में। रोल-प्ले मतलब जब संभोग के दोनों हिस्सेदार नाटक करते हैं या कुछ पात्रों की तरह बर्ताव करते हैं और उन भूमिकाओं को एक साथ लैंगिक संदर्भ में निभाते हैं। इसके कुछ उदाहरण हैं: एक जोड़े का नाटक करना कि वह दो अजनबी हैं जो पहली बार मिल रहे हैं, या फिर वह जानी दुश्मन हैं जो एक सर्द रात में किसी एलिवेटर में अटक गए हैं। आप समझ ही गए होंगे, बस अपनी कल्पना का इस्तेमाल करें।   मनस्वी को अपनी गर्लफ्रेंड के साथ रोल-प्ले करने में मज़ा आता है। उन्हें अजनबी होने का नाटक करना पसंद है। "इससे आपके काफी सारे संकोच मिट जाते हैं। जब आप वैसे ही ऐसा इंसान होने का नाटक कर रहे हैं, जोकि आप नहीं हैं, तो परफेक्ट, या कूल, या कुछ भी होने का दबाव कम हो जाता है। आपको मूर्ख नज़र आने की चिंता नहीं रहती क्योंकि आप सिर्फ एक किरदार निभा रहे हैं! सभी गलतियां/बेवकूफियां आपके किरदार की हैं, नाकि आपकी, या जब आप इस बारे में सोचते हैं, तो ऐसा लग सकता है। यह आपको इस नयी भूमिका में बहुत तनाव मुक्त और आश्वस्त महसूस करने देता है। और आप असल में अपने पार्टनर को तो जानते ही हैं, तो उस बात का भी आराम आपको प्राप्त होता है। यह तो ऐसा है जैसे दोनों हाथों में लड्डू होना।   बस एक रात की बात है/वन-नाईट स्टैंड वाली छवि: जबकि कुछ लोग अपने रिश्ते में थोड़ा "तड़का" लगाने के लिए अलग-अलग छवियां अपनाते हैं, कुछ और हैं जो वन-नाईट स्टैंड (सिर्फ एक रात किसी से मिलकर सेक्स करना) के वक्त एक अलग किस्म का व्यक्तित्व अपनाते हैं, या तब, जब वह जानते हैं कि उनकी उस व्यक्ति से वापस मुलाक़ात नहीं होने वाली। अर्जुन कहता है, "मैंने तो वन-नाइट स्टैंड्स में कुछ बिल्कुल ही नए तिलस्मी कारनामें किये हैं, खासकर जब मैं जवान था। एक बार मैंने वाद-विवाद/डिबेट प्रतियोगिता के दौरान एक कोरियन औरत के साथ हुक-अप किया। पूरी रात यूं लगी जैसे किसी किताब से निकला पन्ना या किसी फिल्म से निकला सीन: वहां बहुत सारी शराब थी, सजे संवरे लोग थे, और वह मुझसे कहती है, मेरे कमरे में चलो। मुझे तो यह भी नहीं मालूम था कि उसके देश में मानक क्या हैं, लेकिन मुझे अंदर से ज़रुरत महसूस हुई, एक बेहद आश्वस्त इंसान की छवि को अपनाने की, और थोड़ी और कोशिश करने की। मगर उसके बाद, मुझे ये भी एहसास हुआ था कि उस ही इंसान के साथ ये दूसरी बार कर पाना, संभव नहीं। वो इसलिए कि इतनी देर तक नक़ाब पहने रहना नामुमकिन है। दरारें दिखाई देने लगेंगी।”   लेकिन कुछ लैंगिक छवियां एक ज़्यादा फैले हुए सामाजिक रवैये का हिस्सा मालूम होती हैं। सारा, जोकि बैंगलोर में बसी लेखिका है, को लगता है कि लोग आजकल जान-बूझकर वन-नाईट स्टैंड्स में बेपरवाह रवैये अपनाते हैं। और वन-नाइट स्टैंड्स में यह एक काफी लोकप्रिय व्यक्तित्व सा नज़र आने लगा है। "लोगों का सोचना है अगर आप को वन-नाइट स्टैंड को ठीक से निभाना है, तो अपने पार्टनर की तरफ अलगाव दिखाना और रूखा बर्ताव करना ज़रूरी है। आपको ऐसा नाटक करना है कि आपको उनकी बिल्कुल परवाह नहीं है, जैसे कि आपको साबित करना हो कि आपको एक लंबे रिश्ते में नहीं रहना है। यह सचमुच काफी अजीब है। सिर्फ इसलिए कि आप बेमतलब सेक्स कर रहे हैं, इसका मतलब यह नहीं है कि आपको दूसरे इंसान के साथ बुरा बर्ताव करें, यों जातायें जैसे वह भी बेमतलब है।”   (कल्पित) गैलरी के लिए नाटक करना (ऐसा बर्ताव जो लोगों की प्रशंसा या समर्थन पाने के लिए किया जाता है): तस्कीन, जोकि २० के शुरआती सालों में है और समलैंगिक है, कहता है कि वह लैंगिक व्यक्तित्व बहुत कम अपनाता है। लेकिन उसे याद है जब उसने सिर्फ किसी को खुश करने के लिए एक बार ऐसा किया था। "मैं और भी जवान था और बैंगलोर में नया था। किसी वजह से, मुझे "जॉक बॉय - नर्ड बॉय" (एक लोकप्रिय लड़का-एक किताबी कीड़ा) वाली कहानी को अनुभव करना था। तो कुछ हद तक उस सपने को साकार करने के लिए, मैंने एक फुटबॉल खिलाड़ी को डेट करना शुरू कर दिया। बस उस अनुभव को उन घिसे-पिटे मर्दाना और स्त्रैण, अधीन और हावी ढांचों में बिठाने के लिए। वह तमिल नाडू के एक गाँव से है, और मैं भी एक गाँव से हूँ, और मैं उसी चीज़ को लेकर अपने सर में कहानी बुन रहा था। मैं सोचने लगा उन चीज़ों के बारे में जो इस व्यक्ति को आकर्षक लग सकते थे, जिसमें संकोची और अधीन होना भी शामिल था। मुझे लगा था कि इससे उसको ज़्यादा कामुक सुख मिलेगा। उस रात हम एक साथ नहीं सोए (कुछ उलझे हुए, और असंबंधित कारणों की वजह से) और बस हमने काफी इश्कबाज़ी की। लेकिन यही एक वक़्त मुझे याद है जब मैंने किसे ऐसे व्यक्ति की लैंगिक भूमिका निभाई जो मेरे स्वभाव से बिल्कुल हट कर था, हालांकि सिर्फ कुछ मुख़्तसर इश्कबाज़ी के लिए और हमने सेक्स भी नहीं किया।”   पॉर्न ( कामोद्दीपक लेख/चित्र) छवि: सौभाग्य से या दुर्भाग्य से, काफी लोग बताते हैं कि उन्होंने अपने संकेत पॉर्न के कुछ लैंगिक छवियों से लिए हैं। बेशक ऐसा अक्सर होता है कि हम परदे पर कुछ देखते हैं, और उसके आधार पर अपने काफी व्यवहार निर्मित करते हैं। हम में से कुछ अपनी पसंदीदा बॉलीवुड हिरोइनों की तरह आह भरने की या मुस्कुराने की कोशिश करते हैं, जबकि कुछ लोग उन्ही पंक्तियों/डायलॉग्स का इस्तेमाल करते हैं जो उन्होंने अपने पसंदीदा सितारों को परदे पे कहते हुए सुना है। लेकिन जब बात सेक्स की होती है, तो कई लोगों का पहला आश्रय पॉर्न होता है, और इससे असली जीवन में कुछ मुश्किलें पैदा हो सकती हैं।   "जब मैंने पहले सेक्स करना शुरू किया," अर्जुन बताते हैं, "मैं कोशिश करता था एक बहुत ही आश्वस्त, बहुत ही मर्दाना छवि अपनाने की। मैं ऐसे चीज़ें कहता था "ओह! तुम्हें यह पसंद है, है ना?", जो बस पॉर्न में देखी हुई बकवास थी। लेकिन जब मैं सोचने लगा कि मैं ऐसा क्यों करता था या ऐसी बातें क्यों बोलता था, और इसके मूल कारण क्या थे और वह कौन सी ताकतें थीं जो इन प्रक्रियाओं को मेरे लिए कामोत्तेजक बना रही थीं, तो मैंने इस बर्ताव पर रोक लगा दी। मुझे एहसास हुआ कि यह बस पॉर्न और पितृसत्ता में जड़वत् था।"   औरतें भी बताती हैं किउनकी लैंगिक छवि पॉर्न पर आधिरत होते हैं। आर्द्रा, जोकि बैंगलोर में बसी एक २६ वर्षीय मीडिया प्रोफेशनल है, कहती है, "मैं खुद ब खुद इस तरह से कराहने और हांफने लगती हूँ जो स्वाभाविक नहीं महसूस होता। आपको यूं लगने लगता है कि आपको उसी तरह की प्रतिक्रिया देनी है क्योंकि पॉर्न में औरतें हमेशा चीख रही होती हैं, और मुझे चिंता रहती है कि अगर मैं उन जैसी प्रतिक्रिया ना दूँ, तो मेरे बॉयफ्रेंड को अपनी काबिलियत पर शक होगा।"     साहित्यिक किरदार: जहां कुछ लोगों के लिए पॉर्न प्रेरणा बनता है, वहीं कुछ लोगों के लिए किताबें प्रेरणा-स्रोत होती हैं। ग्रीष्मा, जोकि कलकत्ता में बसी एक २५-वर्षीय मीडिया प्रोफेशनल हैं, कहती हैं, "मैं रोमानी नॉवेल्स बहुत पढ़ती हूँ, और मैंने देखा है कि कभी-कभी एक बहुत अच्छी नावेल पढ़ने के बाद, मैं उसके कुछ तत्त्वों को अपनी लैंगिक छवि में शामिल करती हूँ। हमेशा नहीं, लेकिन मैंने ऐसा कभी-कभार होते देखा है। शायद मैं अपना आसन बदल दूँ, या फिर मेरे हाथों के इशारों को, जिन शब्दों का मैं इस्तेमाल करती हूँ (सेक्स के दौरान) और मेरी आवाज़ का सुर या उसका उतार चढ़ाव। मैं किसी तरह से उस किरदार को बाहर निकालने की कोशिश करती हूँ। मुझे नहीं पता मैं ऐसा क्यों करती हूँ। शायद मुझे उन किरदारों से इतना प्यार हो जाता है कि मैं उन्हें अपने असली जीवन में शामिल करना चाहती हूँ। शायद मैं उन किरदारों से इसलिए प्यार करती हूँ क्योंकि वह सेक्सी हैं, और मैं हमेशा सेक्सी सेक्स करने की कोशिश करती रहती हूँ।"   लैंगिक छवियों की क्या ज़रुरत है यार: और ज़ाहिर है, ऐसे कुछ लोग हैं जिनको लैंगिक छवियों को अपनाने की बिल्कुल ज़रुरत नहीं महसूस होती। काईआ, जोकि फिलहाल गुयाना में बसी एक २६-वर्षीय फ्रीलान्स कंसलटेंट है, कहती है कि वह बैडरूम के बाहर वैसा ही बर्ताव करती हैं जैसा की बैडरूम के अंदर। "कोई भी जो मुझे थोड़ा भी जानता है, यह जानता है कि मैं बहुत ही कामुक व्यक्ति हूँ। जिस तरह मैं बात करती हूँ, जो चीज़ें मैं कहती हूँ, जिस तरह मैं अपने हाथ हिलाती और शरीर हिलाती हूँ और अपने आप को व्यक्त करती हूँ, मुझे लगता है मैं हमेशा बहुत कामुक प्रकट होती हूँ और अपने शरीर के साथ तालमेल में होती हूँ। तो मुझे कोई लैंगिक छवि अपनाने की ज़रुरत नहीं है, क्योंकि मुझे लगता है मेरा अपना व्यक्तित्व ही बहुत कामुक है!"  
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